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26 जनवरी वो दिन है जिस दिन भारत एक गणतंत्र बना,
जनता द्वारा जनता के लिये जनता को अधिकार मिला,
सत्ता को संचालन के लिये अपना एक आधार मिला,
जो बीत गया उसे दोहराया ना जाए, आगे कोई नई विपदा आ ना पाए।
इस हेतु तप किया गया।
दुनिया भर के संविधानो का अध्ययन किया गया
दुनिया मे जहाॅ जहाॅ जो जो भी उचित मिला
आत्मसात कर उसको नव सृजन किया गया।
हे हमारा संविधान महान जो देता जनता को मौलिक अधिकार,
गरीब अमीर यहा समान है, अस्पृश्यता का ना कोई काम है,
प्रेस हमारी स्वतंत्र है, अभिव्यक्ति यहा नही परतंत्र है,
शोषण ना बर्दाशत है,सबको शिक्षा का अधिकार है,
लोकतंत्र धर्म महान है यहा सभी धर्मो का सम्मान है
संवैधानिक उपचारो का अधिकार इसकी जान है,
मेरा भारत महान है।
कर्तव्यो के बिना अधिकारो का ना कोई अर्थ है, बिना कर्तव्यो के अधिकार
जैसे बिना धुप की छाया है, जैसे निरंकुशता की माया है,
इस हेतु कर्तव्यो का भी प्रावधान है,
सर्वोपरी संविधान का सम्मान है।
इसकी सम्पूर्ण शक्ति जनता मे ही निहित है।
जनता से ही जनता द्वारा जनप्रतिनिधि चुना जाता है,
जनता द्वारा ही सत्ता के सौपानो पर चढाया जाता है
एक चायवाला भी देश का प्रधान बन सकता है,
जन गण मन का पहरेदार बन सकता है।
जब वादे पुरे कर विकास की चांदनी फैलाई जाती है,
तब उच्च सौपान प्रदान कर उसकी प्रतिष्ठा बढाई जाती है।
पर वादा खिलाफी कर जब अराजकता लाई जाती है।
तब जनशक्ति मार्ग दिखाती है, अवनती के पहरेदारो को फर्श पर ले आती है।
इसलिए तो भारत एक जनतंत्र कहलाता है
क्योकि जन गण मन के सिवा यहा कोई नही विधाता है।
विधी जन की, विधान जन का, विधाता भी स्वयं जन से है।
हमारा सलाम इसे पुरे मन से है।
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